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शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

भगवान सबको भोजन देता है

एक समय की बात है।  
एक संत एक गाँव में सत्संग दे रहे थे।  
सत्संग में संत ने कहा - "भगवान  सबको पालता  है।  वो सबके पालनहार हैं।  अजगर करे ना चाकरी , पक्षी करे ना काम , दास मलूका कह गए सबके दाता  राम।"
सत्संग समाप्त होने के बाद गाँव का अपने आप को चतुर समझने वाला रामु  संत के पास आया और कहा - " आपने कहा कि  ईश्वर सबको पालता है , वो सबको भोजन देता है। "
संत ने कहा  - "सही है।"
रामु ने कहा  - "अगर वो व्यक्ति कुछ काम न भी करे तो भी क्या ईश्वर उसे भोजन देगा ?"
संत ने कहा - "हाँ , जरूर देगा।"
रामू को विश्वास नहीं हुआ।  उसने सोचा चलो , ईश्वर का आज परीक्षा ली जाये। 
गाँव के पास एक जंगल था , उसके सबसे ऊँचे पेड़ पर जिसमे कोई फल नहीं था , उसपर,  ऊंचाई पर एक शाखा पर बैठ गया और सोचने लगा अब मैं नीचे नहीं उतरूंगा, जब तक ईश्वर मुझे भोजन नहीं दे देता।  
शाम हो गई , अब रात होने वाली थी। 
पास के एक गाँव से एक किसान दूसरे गांव उसी जंगल से होते हुवे जा रहा था।  उसके पास भोजन की पोटली थी।  उसने सोचा कि  भूख लगी है अब इस पेड़ के नीच बैठकर कुछ खाया जाये और वो उसी पेड़ के नीचे बैठकर अपनी पोटली से भोजन करने लगा , जिस पेड़ पर रामू बैठा था।  
जैसे ही उसने भोजन शुरू किया वैसे ही गोलियों की आवाज आने लगी और वो समझ गया की डाकू आ गए हैं और वो  किसान पोटली छोड़कर भाग गया। 
डाकू का एक दल वहां पर पहुँचा और तभी उनकी नजर भोजन की की पोटली पर पड़ी। 
"सरदार, भोजन !" - एक डाकू ने कहा। 
"रूको , इसमें जहर हो सकता है , आजकल गांव वाले डाकुओं को मारने के लिए ऐसी भी तरकीब लगाते है। " - डाकुओं के सरदार ने कहा। 
"तो क्या किया जाए ?, बहुत भूख लगी है !" - दूसरे डाकू ने कहा 
"देखो , जिसने भी इस भोजन में जहर डाला होगा वो यही कहीं पर होगा , हम पर नजर रख रहा होगा , ढूंढो उसे"- डाकुओं के सरदार ने कहा। 
डाकुओं ने यहाँ - वहाँ  ढूंढा , जब पेड़ पर ऊपर देखा तो रामू उन्हें दिखा।  
"सरदार , मिल गया , मिल गया !" - डाकूओ ने कहा। 
"उतारो  उसे' - डाकुओं के सरदार ने कहा। 
डाकुओं  ने जबरदस्ती उसे पेड़ से उतारा और डाकुओं के सरदार ने कहा - "अच्छा तुमने ही इसमें जहर मिलाया है। " 
रामू ने कहा - "नहीं , नही"
"अच्छा तो ठीक है , पहले तुम इसे खाओ" - डाकुओं के सरदार ने कहा 
"मैं नहीं खाऊंगा " - रामू ने कहा 
"मैं न कहता था कि  भोजन में जहर है , अब इसे मार मारकर जबरदस्ती खिलाओ"- डाकुओं के सरदार ने कहा।
डाकुओं ने रामू को खूब मारा और जबरदस्ती रामू को भोजन करना पड़ा। 
अब रामू सोच रहा था कि  सही है ईश्वर सबको भोजन देता  है और जो भोजन नहीं करता , उसे मार मारकर भी भोजन खिलाता है।