आज हमें विचार करना चाहिए कि हम किस प्रकार का जीवन जी रहे है, क्या यह राष्ट्र , समाज और धर्म के लिए सही है , आइये हम इन सब बातों का विश्लेष्ण करे
१ हम हर जगह कचरा फेकते है, यदि हम रोड पर चल रहे होते है तो वहाँ पर, कही पर कचरा फेक देते है। बिल्डिंग मे रहने वाले नीचे कचरा फेक देते है , अन्य विकसित देशो मे वहाँ के लोग सिर्फ कचरा पेटी मे ही कचरा फेकते हैं ।
२ हम भारतीय राजनीती मे भावुक होकर वोट देते हैं और नतीजा सामने है कि मलेशिया जैसा देश जो १९४५ मे आजाद हुआ था, आज हमसे कई गुना आगे है। मलेशिया तो एक उदाहरण है , ऐसे कई और देश हैं।
३ हिन्दी राष्ट्रभाषा और राजभाषा है पर हम जितना हो सके इंग्लिश का ही प्रयोग करते है। अगर हमारे मोबाइल मे कुछ समस्या हो तो हम कॉल सेंटर पर हिन्दी कि अपेछा इंग्लिश मे ही बात करना ज्यादा पसंद करते हैं। ये फिल्मी कलाकार हिन्दी फिल्मो से नाम और पैसा कमाते है, पर जब साछात्कार (इंटरव्यू) का समय आता है तब इंग्लिश का मोह छोड़ नही पाते। चीन, जापान, जर्मनी , पोलैंड , फ्रांस और कई और देश भी अपनी भाषा को महत्व देकर उसी के द्वारा अपना विकास कर रहे हैं।
४ हम रोड पर गाडियाँ चलाते है और बेवजह हार्न बजाते हैं , ट्राफिक जाम होने पर लगातार हार्न बजाते हैं। विकसित देशो मे इस तरह हार्न नही बजाया जाता , सिर्फ आपातकालीन समय मे ही हार्न बजाया जाता है। ध्वनी प्रदुषण बढने का यह एक मुख्य कारण है जो कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों को जनम देता है.
५ हम प्रदुषण बढ़ाने का कार्य करते हैं , भगवान कि पूजा करने के बाद अगरबती की राख, अन्य पूजा सामग्री नदियों मे प्रवाहित करते हैं जिससे नदियों मे प्रदुषण फेलता है। क्या इन चीजों को कचरा पेटी मे डालने से भगवान नाराज हो जायेंगे ?ऐसी कई बाते है, जिनको हमे समझना पड़ेगा।
हम कह सकते है कि हमारे करने से क्या होगा, इस भारत वर्ष में करोडो लोग रहते है, एक हमारे ठीक चलने से क्या होगा, ऐसा नहीं है, बूंद बूंद से सागर बनता है, अगर एक व्यक्ति ये कार्य करे तो समाज पर आज न कल असर होगा ही. इसलिए आज से ही इस प्रकार के और बहुत सारे ऐसे अन्य कार्य जो राष्ट्र, देश और धर्म के लिए हितकर हो हमें करते रहना चाहिए, तभी हम भारत को परम वैभव पर ले जा सकेंगे
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